Friday 8 May 2015

Phalon Ki Chaupal/फलों की चौपाल by Akhilesh Srivastav "Chaman"

                   फलों की चौपाल (अखिलेश श्रीवास्तव "चमन")

(यह एकांकी मैंने मिश्रित माध्यमिक स्कूल के छात्र-छात्राओं अथवा कक्षा पाँच ,छ: और सात के साथ किया । इस एकांकी के द्वारा रोचक और ज्ञानवर्द्धक जानकारी के साथ छात्र -छात्राओं को यह भी सीख दी गई कि वे फलों को धोकर ही खाना चाहिए और इसके साथ ही फलों को छिलके के साथ खाना चाहिए क्योंकि छिलके उतारने से फलों के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं । आशा है कि मुझ जैसे अध्यापक आज की दुनिया में छात्र -छात्राओं को इस तरह के नाटक से ही फलों को खाने के तरीके के साथ ही उनको खाने की महत्ता बता पाएंगे ताकि बच्चे सही चीजों को खाना सीखेंगे । ) 


पात्र- कुल दस -बारह बच्चे- कुछ लड़के और कुछ लड़कियाँ ।
सामग्री- अलग-अलग फलों के मुखौटे, जो गत्ते या मोटे कागज़ के बने हों । 

(सभी बच्चे अपने-अपने चेहेर पर एक-एक फल का मुखौटा पहने हैम। आम का मुखौटा पहने एक बच्चा सबका प्रतिनिधित्व कर रहा है । उसकी बाईं तरफ एक लड़का केले का मुखौटा पहने बैठा है तथा दाईं तरफ एक लड़का संतरे का मुखौटा पहने बैठा है । बाकी बच्चे अमरूद , नींबू , अंगूर, गाजर, मूली, सेब,लीची, तरबूज़ आदि फलों के मुखौटे लगाए बैठे हैम। जो पात्र जिसे फल का -पहने है , वह उसी का प्रतिनिधित्व कर रहा है। सर्वप्रथम केला खड़ा होता है ।) 

केला- (सामने दरी पर बैठे फलों की तरफ देखकर) साथियों! आप लोगों को शायद पता होगा की फलों के राजा आम जी ने यह बैठक क्यों बुलाई है ? दरअसल आप लोगों में से बहुतों के बारे में की शिकायतें मिली हैं । अत: आप  लोगों से स्पष्टीकरण जानने और कुछ ज़रूरी निर्देश देने के उद्देश्य से हमारे राजा आम जी ने यह बैठक बुलाई है । (फिर शाम की तरफ देखकर ) महाराज! यह अमरुद का बच्चा बहुत शैतान हो गया है। इसने शास्त्री नगरवाले श्रीवास्तव जी के लड़के को खांसी कर दी है । खाँसते-खाँसते बेचारे की बुरी हालत हो गई है। श्रीवास्तव जी ने दो रूपए का अमरूद क्या खरीदा, उन्हें बीस रूपए का कफ सिरप खरीदना पड़ गया । 
आम - (अमरूद की तरफ देखकर) हूँ , क्यों भाई अमरूद लाल ! यह क्या सुन रहा हूँ मैं ! अगर लोगों को ऐसे ही परेशान करोगे तो तुम्हें भला कौन पूछेगा? 
(आम के चुप होते ही अमरूद खड़ा होता है ।)
अमरूद -मेरी कोई गलती नहीं है। सरकार! यद्यपि यह बात सच है की श्रीवास्तव के लडके को खांसी मेरी ही वजह से हुई है, लेकिन इसमे मेरा रत्तीभर भी दोष नहीं । उस दिन श्रीवास्तव जी शाम के समय सब्ज़ी लेने बाज़ार गए तो मुझे खरीद लाए । बंटी ने झट मुझे झोले से निकाला और खाना शुरू कर दिया । अब आप ही बताइए, सर्दी के दिन शाम के समय अमरूद खाने से खाँसी नहीं होगी तो और क्या होगा? अगर मुझे सवेरे थोड़ा दिन चढने के बाद से लेकर दोपहर तक खाया जाए तो मैं कोई नुकसान नहीं पहुंचाता । नुकसान की कौन कहे, मैं तो बहुत फ़ायदे की चीज़ हूँ , सरकार । अगर मुझे भोजन के साथ या भोजन करने के बाद खाया जाए, तो मैं पाचनक्रिया बढ़ाने के साथ-साथ पेट की खूब अच्छी तरह सफ़ाई भी करता हूँ । दाँतों और मसूड़ों के लिए भी मैं बहुत फायदेमंद चीज़ हूँ । डाक्टरों का कहना है की मैं दिमाग की गरमी और पागलपन दूर करने में भी सहायक हूँ । इसके अलावा पेट की कब्ज़ और बवासीर आदि में भी उपयोगी हूँ । अब आप ही बताएं, सरकार! अगर मुझे कोई सही तरीके से इस्तेमाल ही न करे तो इसमें मेरा क्या दोष? 
(अमरूद बैठ जाता है ।)
(अमरूद के बैठते ही महाराजा आम के दूसरे मंत्री संतरा प्रसाद खड़े होते हैं।) 
संतरा - (आम की तरफ देखकर) और इस गाजर की भी बहुत शिकायतें आ रही हैं, सरकार! जो भी इसे खाते हैं , दस्त और पेट की गड़बड़ी के शिकार हो जाते हैं । इसको कई बार समझाया गया, लेकिन इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है ।
आम-(गाजर की तरफ़ देखकर) क्यों जी , यह सच है ? 
गाजर- (आम की तरफ देखकर) श्रीमान संतरा प्रसाद द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप सच नहीं हैं , सरकार! आप मुझ पर विशवास करें । उलटी, दस्त और पेट दर्द आदि गड़बड़ियाँ मेरे कारण नहीं बल्कि मुझको खाने वालों की लापरवाही के कारण होती हैं । दरअसल मेरे शरीर पर उगे लम्बे-लम्बे बालों में "एंटीमीबा " नामक जीवाणु होते हैं, जो पेट के अंदर कीड़े पैदा करते हैं तथा पाचनक्रिया को प्रभावित करते हैं । अत: लोगो को चाहिए कि खाने से पहले मुझको अच्छी तरह से रगड़-रगड़ कर साफ पानी से धो लें, बल्कि मैं तो विभिन्न प्रकार के विटामिनों का बहुत अच्छा और सस्ता स्रोत हूँ । मेरे अंदर विटामिन "ए ", विटामिन "बी", विटामिन "डी", विटामिन "के" आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं और शरीर के विकास में मैं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हूँ । 
(गाजर बैठ जाती है । गाजर के बैठते ही मूली खड़ी होती है ।)
मूली- (आम की तरफ़ देखकर ) अगर इजाजत हो तो मैं भी कुछ कहूं , श्रीमान । 
आम -हाँ ,हाँ , कहिए मूली देवी, क्या कहना चाहती हैं आप?
मूली- गाजर बहन ने जो कुछ भी कहा है वह बिलकुल सच कहा है, सरकार। गाजर बहन की बातें काफ़ी हद तक मेरे ऊपर भी लागू होती हैं । मेरे शरीर पर भी रोंए होते हैं और उनमें भी घातक जीवाणु होते हैं । अत: मुझको भी खाने से पहले खूब अच्छी तरह धो लेना चाहिए । 
(मूली बैठ जाती है । केला फिर खड़ा हो जाता है ।) 
केला- (आम की तरफ देखकर ) उधर देखिए महाराज, अंगूर राम उधर कोने में छिपकर बैठे हैं । वैसे तो अपने-आपको ये बहुत फायदेमंद पहल बताते हैं , लेकिन सूचना मिली है कि इनको खाने से भी कई लोग बीमार पड़े हैं । इनका स्पष्टीकरण आवश्यक है, महाराज । 
आम- (उचककर इधर-उधर देखते हुए ) भई अंगूर राम, आप पीछे से उठकर सामने आइए और श्री केला जी की बातों का जवाब दीजिए । 
(एक छोटा-सा बच्चा, जो अंगूर का मुखौटा पहने है , पीछे से उठकर आगे आता है । वह आम की तरफ हाथ जोड़कर नमस्कार करता है ।) 
अंगूर- वैसे तो श्रीमान केला जी हमारे बुजुर्ग हैं, वह जो चाहें सो कहें, लेकिन सच्चाई यही है सरकार कि  गुणों  के मामले में मेरा कोई जवाब नहीं । मैं देखने में जितना छोटा हूँ , उतना ही अधिक फायदेमंद हूँ । विटामिन "ए ", विटामिन "बी", विटामिन "सी", प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम, फॉस्फोरस , लोहा आदि मनुष्य के लिए उपयोगी भला कौन -से ऐसे तत्व हैं, जो मुझमें नहीं हैं ? तभी तो शरीर में खून बढ़ाने , खून की सफ़ाई करने, पाचन क्रिया ठीक करने, नेत्र -ज्योति बढ़ाने आदि में मेरी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । कमज़ोर और रोगी लोगों के लिए तो मैं अति उपयोगी हूँ । 
केला- (अंगूर की बात काटते हुए ) अपने ही मुँह से अपने गुणों का बखान आप बहुत कर चुके। हम मानते हैं अंगूर राम की आप बहुत गुणवान फल हैं , लेकिन क्या यहाँ सत्य नहीं है कि  आप को खाने से कई लोग पेट की गड़बड़ी के शिकार हुए हैं । 
अंगूर- आपका आरोप बिलकुल सच है , लेकिन लोगों के बीमार होने में मेरी रत्तीभर भी गलती नहीं है । होता यह है कि ठेलेवाले मुझे खुला लेकर बेचा आकृति हैं । मेरे ऊपर तमाम धूल और गन्दगी पड़ती रहती है तथा मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं, लेकिन मुझको खरीदने वाले इतना भी कष्ट नहीं करते कि खाने से पहले ठीक से धो लें । बस खरीदा और फटाफट खाने लगे । ऐसे में अगर वे बीमार पड़ते हैं , तो फिर मेरा क्या दोष? एक दूसरी बात भी है । मुझको डाल पर से कच्चा ही तोड़ लिया जाता है और कार्बाइड आदि गैसों द्वारा मुझको पकाया जाता है । इन गैसों का कुछ अवशेष मेरी चमड़ी पर रह जाता है , जो लोगों को नुकसान पहुंचाता है । 
आम- (हंसते हुए) ठीक है, ठीक है, अंगूर राम जी! हम मान गए हैं की लोगों के बीमार होने में आपका दोष नहीं है, लेकिन आप उपाय भी तो बताइए , ताकि लोग बीमार न पड़े । 
अंगूर- बहुत सीधा-सा उपाय है, हुजूर! लोगों को चाहिए कि खाने से पहले मुझे अच्छी तरह से धो लें, बल्कि बेहतर तो यह होगा कि पाँच -दस मिनट तक मुझे पानी में ही डालकर छोड़ दें , फिर अच्छी तरह से साफ़ करके धो -पोंछकर ही खाएं । 
(अंगूर बैठ जाता है। अंगूर के बैठते ही सेब खड़ा होता है।) 
सेब- (आम की तरफ देखकर) हम सभी फलों की स्थिति लगभग एक जैसी ही है, महाराज! अधिकांश लोग हमें खाने का सही तरीका ही नहीं जानते, इसीलिए हम लोग चाहते हुए भी उतना अधिक फ़ायदा नहीं पहुंचा पाते जितना पहुंचाना चाहिए, बल्कि कभी-कभी तो उलटे उन्हें फायदे की जगह नुकसान हो जाता है । उदाहरण के लिए, मुझको ही लीजिए । खनिज, लवण और विटामिनों की मैं खान हूँ , गुणों का मैं खज़ाना हूँ । मेरे बारे में तो यहाँ तक कहा गया है कि जो व्यक्ति रोज़ एक सेब खाए उसे कभी डॉक्टर के यहाँ जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, लेकिन बहुत-से ऐसे लोग हैं , जो खाने से पहले मेरी चमड़ी यानी छिलका उतार देते हैं । मेरे छिलके के ठीक नीचे विटामिन "सी'और "ए " होता है, जो छिलका उतारने पर नष्ट हो जाता है। लोगों को चाहिए कि  मुझे छिलके सहित ही  खाएं । 
(सेब बैठ जाता है ।)
आम- आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं , सेब जी ! आप सबकी बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि लोगों को चाहिए की खाने से पहले फलों को खूब अच्छी तरह से धो लें । कुछ फलों की तासीर गर्म होती  है, जैसे मैं खुद हूँ । अत: लोगों को चाहिए कि खाने से पहले हमें कुछ देर तक पानी में भिगोए रखे। तीसरी बात यह है कि कुछ फलों जैसे - अमरूद , नाशपाती, सेब आदि को उनके छिलके सहित खाना चाहिए। छिलके उतारने से फलों के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते है। अच्छा भाइयों, सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! अब सभा विसर्जित की जाती है । 
(परदा गिरता है।) 

No comments:

Post a Comment