Saturday 2 May 2015

चीफ की दावत / Chief ki daawat

                                     चीफ की दावत

यह नाटिका छात्र-छात्राओं ने कक्षा दस में कहानी (चीफ की दावत) को पढ़कर लिखी थी ।  कक्षा दस की  मौखिक परियोजना के लिए छात्रों ने कहानी को इस नाटिका के रूप में लिखा और फिर उसे प्रार्थना सभा में अभिनीत किया । इस तरह की क्रियाओं को छात्र-छात्राओं की सृजनात्मक योग्यता को बढ़ाने के लिए किया जाता है । ऐसी क्रियाओं से छात्र-छात्राओं का आत्मविश्वास बढ़ता है । छात्रों ने इस कहानी को वर्तमान वातावरण से जोड़ने के लिए आधुनिक वस्तुओं और उपकरणों का प्रयोग किया है ताकि नाटिका वर्तमान से जुडी लगे और लोगों को आनंद आए ।

पात्र- शामनाथ, शामनाथ की पत्नी, शामनाथ की माँ , चीफ, चीफ की पत्नी ।

शामनाथ- हरी अप डार्लिंग ! इन फालतू चीजों में अपना समय बरबाद न करो ।
पत्नी- जी आ रही हूँ । चीफ के लिए तैयार जो होना है  ।
शामनाथ - माँ , ज़रा मेरे अरमानी जूते ला देना ।
(माँ गलत जूते   ले कर आती है )
पत्नी - उफ! क्या इन गाँववालो को कुछ नहीं पता ?
शामनाथ -ठीक है,  मैं ही लाता हूँ  ।
(माँ वापिस अपने कमरे में चली जाती है )
पत्नी - इन फालतू चीज़ों को पलंग के नीचे धकेल दो ।
शामनाथ- ओ नो ! मॉम का क्या करेंगे?
पत्नी - उनको तो दिलेर मेहंदी की कॉन्सर्ट के लिए भेज दो । प्रॉब्लम क्या है?
शामनाथ - अरे नहीं ! वो करने से दिलेर जी का यहाँ घर मे आना-जाना शुरू हो जाएगा। पहले ही बड़ी मुश्किल से अदनान सामी का यहाँ आना बंद किया है । वरना इन लोगों का गाना-बजाना पूरा समय चलता रहता था ।
पत्नी -इनका समय तो चला गया पर अभी भी अपने को लता मंगेशकर से कम नहीं समझतीं ।
शामनाथ- अच्छी भली तो माँ भाई के घर जा रही थी और तुमने अच्छा बनने के लिए बीच में टांग अड़ा दी ।
पत्नी - अरे! लोग कहते हैं सास और बहू में पटती नहीं है । मैं बुरी क्यों बनूं - तुम माँ -बेटे की बातों में ?  मुझे अपनी रेपुटेशन प्यारी है , इसलिए मैंने उन्हें रोक दिया । चाहो तो ड्राइवर को बुला दो और उन्हें एयरपोर्ट भेज दो । मै अभी उनकी टिकट बुक करती हूँ ।
शामनाथ- उफ ! सॉरी , समय अब बहस करने नहीं है बल्कि समस्या का हल ढूंढने का । … डार्लिंग मैंने सोच लिया !
पत्नी- क्या ?
(शामनाथ माँ के कमरे में जाता है )
शामनाथ - मॉम आज माइक्रोवेव मे खाना जल्दी गर्म करके खा लेना  ।
माँ - बेटा, मैं आज खाना नहीं खाउंगी ।
शामनाथ- ठीक है , मत खाना । लेकिन काम जल्दी निपटा लेना । जब हम ड्राइंग रूम में ड्रिंक्स ले रहे हैं तो आप बरामदे में बैठना । और, जब हम खाना खाने के लिए बरामदे मेम आएंगे तो तुम बाथरूम के रास्ते से ड्राइंग रूम में चली जाना । और, आज जल्दी  नहीं सोना वरना तुम जो खर्राटे लेती हो, वे सब सुन लेंगे ।
माँ - (लज्जित आवाज़ में) अच्छा बेटा ।
शामनाथ- ओ नो ! जो चीफ इधर अचानक आ निकले तो ? कम से कम आपको बैठने का ढंग ही सिखा दूं । (कुर्सी लाई जाती है ) मॉम पैर नीचे  करो , कुर्सी पर ऐसे नहीं बैठते । आज तुम वे हाई हील के जूते और चमकीली साडी पहन लेना । और हां , हीरों का हर और झुमके पहनना भूलना नहीं ।
माँ - पर बेटा ! वे सब गहने तो तुम्हारी पढाई के खर्च में बिक गए ।
शामनाथ- शटअप मॉम । वो सब खर्च हो गया तो मेरी पढ़ाई के लिए ही ना ! तभी तो बड़ा आदमी बना । अब चाहो तो तुम्हें दुगुने गहने दिला सकता हूँ ।
माँ - नहीं बेटा ! मेरी जीभ जल जाए अगर मैं तुमसे कुछ मांगू ।
शामनाथ- एनीवे , बिग बी अगर आएंगे और कुछ पूछेंगे तो ढंग से जवाब देना ।
माँ - बेटा , मैं पढ़ी-लिखी तो नहीं हूँ , मैं क्या करूं ? तुम कह देना , माँ अनपढ़ है, कुछ जानती समझती नही। फिर वे कुछ नहीं पूछेंगे ।
(सात बजते-बजते माँ का दिल धक -धक करने लगा । वे पूजा घर में जाकर प्रार्थना करती है ।)
माँ - अगर चीफ साहब ....... बिग बी कुछ पूछेगा तो मैं क्या कहुंगी ? हे भगवान ! मुझे बचा लो । (लेकिन बेटे की हुक्म  को टाले बिना वह चुपचाप कुर्सी पर बैठती है । )
शामनाथ- वेलकम, वेलकम ! गुड इवनिंग बिग बी ! मिस्टर एंड मिसेस राणा ।
(हंसी-मजाक , ड्रिंक्स पीते -पिलाते साढ़े दस बज गए )
शामनाथ - चलो, एवरीबोडी डिनर बरामदे में ।
(सब ने बरामदे में पहुंचते ही माँ को, टांग ऊपर , बिखरे बाल और खर्राटे मारते हुए देखा ।  )
चीफ- नमस्ते!
 माँ - जी …… जी नमस्ते! ( माँ ने दोनों हाथ जोड़े, मगर एक हाथ दुपट्टे के अंदर माला को पकड़े हुए था, दूसरा बाहर, ठीक तरह से नमस्ते नहीं कर पाई )
शामनाथ- मॉम हाथ मिलाओ ।
(माँ गलत हाथ आगे बढ़ाती है ।)
शामनाथ - मॉम ! यूँ  नहीं ! तुम तो जानती हो, राइट हैण्ड मिलाया जाता है । राइट हैण्ड मिलाओ ।
चीफ - हाउ डू यू डू ?
शामनाथ- मॉम कहो , आई एम फाइन थैंक यू । हाउ डू यू डू ?
माँ - हो डू डू ……
(वातावरण हलका हो जाता है )
शामनाथ- चीफ जी आपको पता है,  माँ अपने दिनों एक मशहूर गायिका थी ।
चीफ - रियली कुड शी  सिंग फॉर अस ?
शामनाथ- मॉम चीफ पूछ रह रहे हैं क्या आप उनके लिए गाना गाएंगी ?
माँ - मगर ....... मेरे गाने के दिन बीत गए बेटा ।
शामनाथ- वाह ! अरे कुछ दिलेर का ही सुना दो ।
(वे गाती हैं)
चीफ - (तालियाँ ) योअर मॉम इज़ ए रियली गुड सिंगर ।
शामनाथ- मॉम चीफ कह रहे हैं कि  उनको आपका गाना बहुत अच्छा लगा । आप उनके लिए सी डी पर अपने गाने रिकार्ड करके गिफ्ट कर दो ।
माँ - लेकिन बेटा मेरी आवाज़ .......
शामनाथ - चीफ मॉम कहती है कि  वे आपके लिए अपने गानों की  एक सी डी बना सकती हैं ।
चीफ - ओ ! वंडरफुल !
(धन्यवाद कहकर सब मेज की ओर गए । एक  बजे तक सारे मेहमान चले गए और शामनाथ माँ की कोठारी के बाहर जाते हैं और दरवाजे पर खटखटाते हैं )
शामनाथ- ओ मॉम ! तुमने तो आज दिलेर मेहंदी की तरह मटक -झटक के पार्टी में नया रंग ला दिया । चीफ भी प्रसन्न हुए । मॉम यू  रूल !
माँ - पुत्र ! मुझे यू एस ए.....
शामनाथ- क्यों? मॉम तुम मुझे छोड़कर जा नहीं सकती। वैसे भी मैं पैसे नहीं देने वाला । क्या आपको पता है कि  आजकल एयर फेयर  कितना हो गया है ? और, फिर लोग कहेंगे कि यह आदमी अपनी बूढी माँ का ख्याल रख नहीं सकता ।
माँ- नहीं, नहीं, तुम अपनी पत्नी के साथ खुश रहो ।
शामनाथ- लेकिन आप जाएंगी तब सी डी कैसे बनेगी मॉम ?
माँ - अब मेरी आवाज़ ही सुरीली नहीं रही - मैं क्या गाउंगी? क्या सी डी बनेगी ?
शामनाथ - नहीं मॉम , तुम ऐसे नहीं जा सकती। फिर चीफ गुस्से हो जाएंगे और तब मैं हमेशा जूनियर बिग बी ही रहूंगा ।
(माँ कुछ समय के लिए चुप रहती है )
माँ- क्या साहब ने कहा है कि  वह तुम्हें बिग बी बनाएंगे ?
शामनाथ- कहा नहीं । मगर इतने खुश होकर गए है, और  जब सी डी मिलेगी तब  वह ना कह नहीं पाएंगे ।
(माँ का चेहरा धीरे -धीरे ख़ुशी से भर जाता है )
माँ -तू कितना बड़ा हो जाएगा बेटा ?
शामनाथ - बिग बी यूँ ही नहीं बनूंगा मॉम । साहब को और भी खुश करना पडेगा , सी डी देंनी पड़ेगी ।
माँ- तो सी डी बना दूंगी बेटा !
शामनाथ- ओ! मेरी अच्छी मॉम !
(शामनाथ , तनिक लड़खड़ाते हुए अपने कमरे की और घूमता है और पलंग पर जाकर धड़ाम गिरता है, खर्राटे भरने लगता है ।)

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